राजनीति चमकाने में कांग्रेस पार्टी का कोई जवाब नहीं.. लेकिन इन दिनों कांग्रेस की हालत काफी डमाडोल है, सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस की ऐसी टूटती-फूटती हालत का असल जिम्मेदार कौन है?
कहते हैं राजनीति संभावनाओं का खेल है.. लेकिन कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार (Gandhi Family) और उनके चमचों को छोड़कर किसी दूसरे के लिए कोई संभावना की गुंजाइश नहीं है. ये बार-बार साबित हो चुका है कि कांग्रेस (Congress) पार्टी सिर्फ और सिर्फ गांधी एवं वाड्रा परिवार के हितों की पार्टी बनकर रह गई है. खैर, ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) अपने नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए बड़ा कदम उठाने वाली है. लेकिन, अगर सीधे शब्दों में कहें तो ये चुनाव सिर्फ एक ढकोसला है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आपको तफसील से समझाते हैं.
कांग्रेस की दौड़, गांधी परिवार तक..
एक बड़ी मशहूर कहावत है "मियां की दौड़ मस्जिद तक", उसी प्रकार कांग्रेस पार्टी की दौड़ गांधी-वाड्रा परिवार तक.. कांग्रेस पार्टी के पास परिवार को छोड़कर दूसरा कोई विकल्प नहीं है. पहले पार्टी ने परिवार के युवराज पर दाव खेला. दो लोकसभा चुनाव में राहुल बाबा (Rahul Gandhi) ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन इसे उनकी बदकिस्मती कहें या फिर कांग्रेस पार्टी के घोटालों और पाप का नतीजा.. कांग्रेस का करारी हार का मुंह देखना पड़ा. अब सवाल ये था कि राहुल बाबा तो बार-बार फेल हो रहे हैं. ऐसे बुरे हालात में फैमिली की कठपुतली वाली पार्टी ने परिवार के दूसरे सदस्य पर कार्ड खेला. मैडम सोनिया की बेटी और वाड्रा फैमिली की 'महारानी' प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने आखिरकार भाई के कंधे पर पार्टी को डूबता देख एक फैसला किया. यहीं से हुई प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की पॉलिटिक्स में एंट्री.. लेकिन 'जूनियर मैडम' प्रियंका के आते ही राहुल बाबा के भरोसेमंद नेताओं को साइड किया जाने लगा. हां ये बात अलग है कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का कंट्रोल गांधी परिवार के ही पास है. फर्क सिर्फ इतना है कि अब इस कठपुतली की बागडोर युवराज के हाथों से छीनकर महारानी को दे दी गई. गौर करिएगा कि ये बागडोर आधिकारिक नहीं है, इसका असर सिर्फ फैसलों में दिखता है.
तो क्या दिखावा नहीं है ऑनलाइन वोटिंग?
ऐसी जानकारी सामने आई थी कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) पार्टी अपना नया अध्यक्ष चुनने के लिए ऑनलाइन वोटिंग कराने जा रही है. जिसके मतदान करने वाले सदस्यों की डिजिटल लिस्ट तैयार कर ली गई है. जैसे ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी हरी झंडी देती है तो 15 दिन में चुनाव कराए जाएंगे. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अगस्त 2019 से कांग्रेस अध्यक्ष हैं. संभावना जताई जा रही है कि फरवरी 2021 तक कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा. लेकिन कांग्रेस पार्टी आखिर ऑनलाइन वोटिंग का दिखावा क्यों कर रही है? ये समझने वाली बात है.
कांग्रेस (Congress) के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी में फूट की आशंका पर कई दफा इशारे-इशारे में साफ कर दिया है. पार्टी में मची कलह सच साबित कर रही है कि कांग्रेस पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. एक के बाद एक कई नेताओं ने अपनी बेवफाई का परिचय दे दिया है. ऐसे में इन नाराज नेताओं को मनाने के लिए चुनाव और ऑनलाइन वोटिंग का फॉर्मूला तैयार कर लिया. कांग्रेस पार्टी के पास डैमेज कंट्रोल के लिए कोई दूसरा चारा नहीं बचा. इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तैयारी शुरू कर दी. कई दिग्गज नेताओं ने ये सवाल उठाया है कि कोई पार्टी भला इतने लंबे वक्त कर कार्यकारी अध्यक्ष पर कैसे चल सकती है?
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